Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita ! अल्‍हड़ बीकानेरी हास्‍य कविता

Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita: हम अपने इस आर्टिकल में हास्‍यं व्‍यंग्‍य कविताओं के क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखने वाले अल्लड़ बीकानेरी की कविताओं का संग्रह लेकर आये हैं। हास्य व्यंग्य की कविताएं हमारे समाज में विशेष स्थान रखती हैं।हँसना हँसाना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस विधा के महारथी अल्‍हड़ बीकानेरी का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के बीकानेर गांव में 17 मई 1937 को हुआ था।

इनका मूल नाम श्‍यामलाल शर्मा था, और वह बचपन से पढ़ने लिखने में रुचि रखते थे, उन्होंने हरियाणा में मैट्रिक की परीक्षा पूरे प्रदेश में पहला स्‍थान प्राप्‍त किया। उसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया किन्तु इंजीनिरिंग की पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा और वह दूसरे वर्ष वो फेल हो गए।

अल्‍हड़ बीकानेरी ने वर्ष 1962 से कविताये, गीत गज़ल एवं छंद लिखना प्रारम्भ किया। उन्होंने उपनाम से ऊर्दू में गज़लें लिखनी शुरू कर दी। एक बार कवि सम्‍मेलन के कर्यक्रम हास्‍य कवि काका हाथरसी की हास्य कविताओं को सुनकरं अपना भाग्य भी हास्य कविताओं के क्षेत्र में आजमाने का फैसला किया। Best of Alhad Bikaneri


Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita– मुझको सरकार बनाने दो


जो बुढ्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो।
बस एक बार, बस एक बार मुझको सरकार बनाने दो।

मेरे भाषण के डंडे से
भागेगा भूत गरीबी का।
मेरे वक्तव्य सुनें तो झगडा
मिटे मियां और बीवी का।

मेरे आश्वासन के टानिक का
एक डोज़ मिल जाए अगर,
चंदगी राम को करे चित्त
पेशेंट पुरानी टी बी का।

मरियल सी जनता को मीठे, वादों का जूस पिलाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो कत्ल किसी का कर देगा
मैं उसको बरी करा दूँगा,
हर घिसी पिटी हीरोइन कि
प्लास्टिक सर्जरी करा दूँगा;

लडके लडकी और लैक्चरार
सब फिल्मी गाने गाएंगे,
हर कालेज में सब्जैक्ट फिल्म
का कंपल्सरी करा दूँगा।

हिस्ट्री और बीज गणित जैसे विषयों पर बैन लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो बिल्कुल फक्कड हैं, उनको
राशन उधार तुलवा दूँगा,
जो लोग पियक्कड हैं, उनके
घर में ठेके खुलवा दूँगा;

सरकारी अस्पताल में जिस
रोगी को मिल न सका बिस्तर,
घर उसकी नब्ज़ छूटते ही
मैं एंबुलैंस भिजवा दूँगा।

मैं जन-सेवक हूँ, मुझको भी, थोडा सा पुण्य कमाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

श्रोता आपस में मरें कटें
कवियों में फूट नहीं होगी,
कवि सम्मेलन में कभी, किसी
की कविता हूट नहीं होगी;

कवि के प्रत्येक शब्द पर जो
तालियाँ न खुलकर बजा सकें,
ऐसे मनहूसों को, कविता
सुनने की छूट नहीं होगी।

कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

ठग और मुनाफाखोरों की
घेराबंदी करवा दूँगा,
सोना तुरंत गिर जाएगा
चाँदी मंदी करवा दूँगा;

मैं पल भर में सुलझा दूँगा
परिवार नियोजन का पचडा,
शादी से पहले हर दूल्हे
की नसबंदी करवा दूँगा।

होकर बेधडक मनाएंगे फिर हनीमून दीवाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

~ Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita

Man Mast Hua Hindi By Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita

यह भी पढ़ें -:


Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita– कुत्ते तभी भौंकते हैं 


रामू जेठ बहू से बोले, मत हो बेटी बोर
कुत्ते तभी भौंकते हैं जब दिखें गली में चोर
वफ़ादार होते हैं कुत्ते, नर हैं नमक हराम
मिली जिसे कुत्ते की उपमा, चमका उसका नाम

दिल्ली क्या, पूरी दुनिया में मचा हुआ है शोर
हैं कुत्ते की दुम जैसे ही, टेढ़े सभी सवाल
जो जबाव दे सके, कौन है वह माई का लाल
देख रहे टकटकी लगा, सब स्वीडन की ओर

प्रजातंत्र का प्रहरी कुत्ता, करता नहीं शिकार
रूखा-सूखा टुकड़ा खाकर लेटे पाँव पसार
बँगलों के बुलडॉग यहाँ सब देखे आदमख़ोर
कुत्ते के बजाय कुरते का बैरी, यह नाचीज़

मुहावरों के मर्मज्ञों को, इतनी नहीं तमीज़
पढ़ने को नित नई पोथियाँ, रहे ढोर के ढोर
दिल्ली के कुछ लोगों पर था चोरी का आरोप
खोजी कुत्ता लगा सूँघने अचकन पगड़ी टोप

~ Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita

यह भी पढ़ें -:


Alhad Bikaneri Ki Hasya Kavita– दाता एक राम


साधू, संत, फकीर, औलिया, दानवीर, भिखमंगे
दो रोटी के लिए रात-दिन नाचें होकर नंगे
घाट-घाट घूमे, निहारी सारी दुनिया
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !

राजा, रंक, सेठ, संन्यासी, बूढ़े और नवासे
सब कुर्सी के लिए फेंकते उल्टे-सीधे पासे
द्रौपदी अकेली, जुआरी सारी दुनिया
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !

कहीं न बुझती प्यास प्यार की, प्राण कंठ में अटके
घर की गोरी क्लब में नाचे, पिया सड़क पर भटके
शादीशुदा होके, कुँआरी सारी दुनिया
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !

पंचतत्व की बीन सुरीली, मनवा एक सँपेरा
जब टेरा, पापी मनवा ने, राग स्वार्थ का टेरा
संबंधी हैं साँप, पिटारी सारी दुनिया
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया !


यह भी पढ़ें -:

Leave a Comment