Best of Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi ! फैज अहमद फैज शायरी

Faiz Ahmad Faiz Shayari : हम इस आर्टिकल मे फैज अहमद फैज शायरी का संग्रह लेकर आए हैं। फैज अपने समय के बहुत बड़े शायर, जिनका नाम शायरी के जगत में बहुत सम्मान से लिया जाता है। फैज अहमद फैज का जन्म 13 फ़रवरी 1911 को पकिस्तान के पंजाब प्रान्त के एक जिला सियालकोट के नारोवेला, जो वर्तमान में फैज नगर के नाम से जाना जाता है, में हुआ था। 1947 में पार्टीशन के बाद फैज अहमद फैज पाकिस्तान चले गए मगर उनके चाहने वाले और उनके मुरीदों की संख्या में हमारे देश में कोई कमी नहीं आयी।


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ग़ज़लें
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Faiz Ahmad Faiz Shayari

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है,
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।


ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम,
विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं।

फैज अहमद फैज

निगाहो-दिल को क़रार कैसा, निशातो-ग़म में कमी कहां की,
वो जब मिले हैं तो उनसे हर बार, की है उल्फ़त नये सिरे से।


तुम्हारी याद के जब ज़ख्म भरने लगते हैं,
किसी बहाने तुम्हे याद करने लगते हैं।

फैज अहमद फैज

कर रहा था गम-ए-जहां का हिसाब,
आज तुम याद बे-हिसाब आए।


कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी,
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी।


फैज अहमद फैज शायरी

क़फ़स उदास है, यारो सबा से कुछ तो कहो,
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले।


मैने समझा था कि तू है तो दरख़्शां है हयात,
तेरा ग़म है तो ग़मे-दहर का झगड़ा क्या है?।

Faiz Ahmad Faiz Shayari

उतरे थे कभी ‘फ़ैज़’ वो आईना-ए-दिल में,
आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का।


‘फ़ैज़’ थी राह सर-ब-सर मंज़िल,
हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए।

Faiz Ahmad Faiz Shayari

कभी-कभी याद में उभरते हैं, नक़्शे-माज़ी मिटे-मिटे से,
वो आज़माइश दिलो-नज़र की, वो क़ुरबतें-सी, वो फासले से।


Best Shayari Of Faiz Ahmad Faiz

न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ,
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं।


लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे,
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे।

Faiz Ahmad Faiz Shayari

फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमएँ जलीं,
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम।


अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें,
दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें।

Faiz Ahmad Faiz

Shayari Of Faiz Ahmad Faiz

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा,
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा।


गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले।

फैज अहमद फैज

अब वही हर्फ़े-जुनूं सबकी ज़बां ठहरी है,
जो भी चल निकली है, वो बात कहां ठहरी है।


इक फुरसत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन,
देखे हैं हम ने हौसले परवरदिगार के।


इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा,
इक चेहरा कुम्हला जाने से कितने दिल नाशाद हुए।

फैज अहमद फैज

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए,
इस के बाद आए जो अज़ाब आए।


Heart-Touching Faiz Ahmad Faiz Shayari

तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है?


हम जीते जी मसरूफ रहे,
कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया।

फैज अहमद फैज

गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहो लगा दो डर कैसा,
गर जीत गए तो क्या कहना, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं।


तेरी सूरत जो दिलनशीं की है,
आशना शक्ल हर हसीं की है।

फैज अहमद फैज

मिरी चश्म-ए-तन-आसाँ को बसीरत मिल गई जब से,
बहुत जानी हुई सूरत भी पहचानी नहीं जाती।


कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नही,
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नही।

फैज अहमद फैज

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया,
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के।


2 Lines Faiz Ahmad Faiz Shayari

सितम सिखलायेगा रस्म-ए-वफ़ा ऐसे नही होता,
सनम दिखलायेंगे राह-ए-ख़ुदा ऐसे नही होता।


दोनों जहां तेरी मोहब्बत में हार के,
वो जा रहा है कोई शब-ए-गम गुज़ार के।

फैज अहमद फैज

न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है,
अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है।


आए तो यूँ की जैसे हमेशा थे मेहरबान,
भूले तो यूँ की गोया कभी आशना न थे।

फैज अहमद फैज

हम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक बाग़ नहीं, इक खेत नहीं, हम सारी दुनिया मांगेगे।


नही निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही,
नही विसल मयस्सर तो आरज़ू ही सही।

फैज अहमद फैज

राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया,
दिल बहुत कुछ जला के देख लिया।


Faiz Ahmad Faiz Shayari In Hindi

हम शैख़, न लीडर, न मुसाहिब, न सहाफ़ी,
जो ख़ुद नहीं करते वो हिदायत न करेंगे।


बेरुखी इससे बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमे उसने सताया भी नही।

Faiz Ahmad Faiz

आज तक शैख़ के इकराम में जो शै थी हराम,
अब वही दुश्मने-दीं राहते-जां ठहरी है।


ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में,
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं।


जुदा थे हम तो मयस्सर थीं कुर्बतें कितनी,
वहम हुए तो पड़ी हैं जुदाइयाँ क्या-क्या।

Faiz Ahmad Faiz

और क्या देखने को बाक़ी है,
आप से दिल लगा के देख लिया।


Faiz Ahmad Faiz Two Line Shayari

कुछ तो चार-ए-गम बात तो युकस हो जाओ,
तुम खफा हो तो अजल ही को राजी कर लूं।


आप की याद आती रही रात भर,
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर।

Faiz Ahmad Faiz Shayari

ये किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया,
फिर आज किस ने सुख़न हम से ग़ाएबाना किया।


वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था,
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है।


हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे,
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे।

Faiz Ahmad Faiz

हुस्न से दिल लगा के हस्ती की,
हर घड़ी हमने आतशीं की है।


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