Adam Gondvi Shayari : हम इस आर्टिकल मे अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी का संग्रह लेकर आए हैं। अदम गोंडवी का जन्म 22 अक्तूबर 1947 ग्राम आटा , परसपुर, गोंडा, उत्तर प्रदेश में हुआ था, इनका असली नाम रामनाथ सिंह था। Adam gondvi को लोग इसलिए भी पसंद करते हैं कि अदम गोंडवी बिना डरे समाज की कुरीतियों पर करारा प्रहार करते थे। इनका निधन 18 दिसम्बर 2011 को हुआ।
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Adam Gondvi Shayari
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तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत का ढोल पीते जा रहे हैं वो
इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है ,नवाबी है
लगी है होड़ – सी देखो अमीरी औ गरीबी में
ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है
![Best of Adam Gondvi Shayari ! अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी 3 adam gondvi hindi shayari on gandhi](https://i0.wp.com/statusfest.com/wp-content/uploads/2023/09/adam-gondvi-hindi-shayari-on-gandhi.jpg?resize=835%2C614)
तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है
Kajoo bhune palet mein viski gilaas mein by Adam Gondvi
![Best of Adam Gondvi Shayari ! अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी 4 Adam Gondvi Shayari](https://i0.wp.com/statusfest.com/wp-content/uploads/2023/09/adam-gondvi-hindi-shayari.jpg?resize=835%2C614)
काजू भुने पलेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनाएँ तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
![Best of Adam Gondvi Shayari ! अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी 5 adam gondvi hindi shayari on independence](https://i0.wp.com/statusfest.com/wp-content/uploads/2023/09/adam-gondvi-hindi-shayari-on-independence.jpg?resize=852%2C626)
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गई है यहाँ की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में
भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
![Best of Adam Gondvi Shayari ! अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी 6 adam gondvi hindi shayari on talwar](https://i0.wp.com/statusfest.com/wp-content/uploads/2023/09/adam-gondvi-hindi-shayari-on-talwar.jpg?resize=835%2C614)
भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है
छा गई है जेहन की परतों पर मायूसी की धूप
आदमी गिरती हुई दीवार के साये में है
![Best of Adam Gondvi Shayari ! अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी 7 adam gondvi hindi shayari on aadami](https://i0.wp.com/statusfest.com/wp-content/uploads/2023/09/adam-gondvi-hindi-shayari-on-aadami.jpg?resize=835%2C614)
बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला हुआ
और कश्ती कागजी पतवार के साये में है
![Best of Adam Gondvi Shayari ! अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी 8 adam gondvi hindi shayari on bebasi](https://i0.wp.com/statusfest.com/wp-content/uploads/2023/09/adam-gondvi-hindi-shayari-on-bebasi.jpg?resize=835%2C614)
हम फ़कीरों की न पूछो मुतमईन वो भी नहीं
जो तुम्हारी गेसुए खमदार के साये में है
Chand hai zere kadam sooraj khilauna ho gaya
चाँद है ज़ेरे क़दम सूरज खिलौना हो गया
हाँ, मगर इस दौर में क़िरदार बौना हो गया
शहर के दंगों में जब भी मुफलिसों के घर जले
कोठियों की लॉन का मंज़र सलौना हो गया
ढो रहा है आदमी काँधे पे ख़ुद अपनी सलीब
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा जब बोझ ढोना हो गया
यूँ तो आदम के बदन पर भी था पत्तों का लिबास
रूह उरियाँ क्या हुई मौसम घिनौना हो गया
अब किसी लैला को भी इक़रारे-महबूबी नहीं
इस अहद में प्यार का सिम्बल तिकोना हो गया
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये
आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये
जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़
उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिये
जल रहा है देश यह बहला रही है क़ौम को
किस तरह अश्लील है कविता की भाषा देखिये
मतस्यगंधा फिर कोई होगी किसी ऋषि का शिकार
दूर तक फैला हुआ गहरा कुहासा देखिये.
Ghazal ko le chalo ab gaanv ke dilkash nazaron mein
ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में
मुसल्सल फ़न का दम घुटता है इन अदबी इदारों में
न इन में वो कशिश होगी, न बू होगी ,न रआनाई
खिलेंगे फूल बेशक लॉन की लम्बी कतारों में
अदीबो ! ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ
मुलम्मे के सिवा क्या है फ़लक़ के चाँद-तारों में
रहे मुफ़लिस गुज़रते बे-यक़ीनी के तजरबे से
बदल देंगे ये इन महलों की रंगीनी मज़ारों में
कहीं पर भुखमरी की धूप तीखी हो गई शायद
जो है संगीन के साये की चर्चा इश्तहारों में
वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं
वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं
वे अभागे आस्था विश्वास लेकर क्या करें
![Best of Adam Gondvi Shayari ! अदम गोंडवी की कविताएँ एवं शायरी 9 adam gondvi hindi shayari on ved](https://i0.wp.com/statusfest.com/wp-content/uploads/2023/09/adam-gondvi-hindi-shayari-on-ved.jpg?resize=835%2C614)
लोकरंजन हो जहां शम्बूक-वध की आड़ में
उस व्यवस्था का घृणित इतिहास लेकर क्या करें
कितना प्रतिगामी रहा भोगे हुए क्षण का इतिहास
त्रासदी, कुंठा, घुटन, संत्रास लेकर क्या करें
बुद्धिजीवी के यहाँ सूखे का मतलब और है
ठूंठ में भी सेक्स का एहसास लेकर क्या करें
गर्म रोटी की महक पागल बना देती मुझे
पारलौकिक प्यार का मधुमास लेकर क्या करें
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये
हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये
ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये
हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये
छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है
इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है
कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले
हमारा मुल्क इस माने में बुधुआ की लुगाई है
रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है
Gar chand tavareekhee tahreer badal Doge
गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे
क्या इनसे किसी कौम की तक़दीर बदल दोगे
जायस से वो हिन्दी की दरिया जो बह के आई
मोड़ोगे उसकी धारा या नीर बदल दोगे ?
जो अक्स उभरता है रसख़ान की नज्मों में
क्या कृष्ण की वो मोहक तस्वीर बदल दोगे ?
तारीख़ बताती है तुम भी तो लुटेरे हो
क्या द्रविड़ों से छीनी जागीर बदल दोगे ?
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