Osho Quotes in Hindi-: हम आपके लिए ओशो के महान विचारों का संग्रह लेकर आये हैं। ओशो के दिए हुए प्रेम विचार (osho love quotes hindi) दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है। ओशो एक आध्यात्मिक गुरु थे। आध्यात्मिक गुरु ओशो के विचार, Osho Quotes In Hindi, Motivational Quotes Of Osho In Hindi, Most Famous Quotes By Osho In Hindi, Osho Motivational Quotes Hindi, Osho Thoughts in hindi, Osho ke anmol vachan, ओशो के महान विचार।
आध्यात्मिक गुरु ओशो एक ऐसे spiritual teacher थे जिनके followers पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. अपने खुले विचारों की वजह से जहाँ उन्हें लाखों शिष्य मिलें वहीँ कई मंचों पर उनकी निंदा भी हुई। उनकी मृत्यु के 25 साल बाद भी उनका साहित्य लोगों तक उनके सन्देश पहुंचा रहा है और लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
Most Famous Quotes By Osho In Hindi
जीवन ठहराव और गति के बीच का संतुलन है।

यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं तो आप एक ध्यानी बन सकते हैं.
Osho Quotes in Hindi
ध्यान दर्पण में देखने की कला है और
अब आपके अन्दर कोई विचार नहीं चलता इसलिए कोई व्याकुलता नहीं होती।
उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये
Osho Quotes in Hindi
उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये उस तरह
चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये।

कोई चुनाव मत करिए. जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है।
Osho Quotes in Hindi
Osho Quotes In Hindi
आकाश में एक अकेले ऊँचे शिखर की तरह रहो
तुम्हे किसी का हो! चीजें किसी की होती हैं।

जब मैं कहता हूँ कि आप देवी-देवता हैं
तो मेरा मतलब होता है कि आप में अनंत संभावनाएं है,
आपकी क्षमताएं अनंत हैं।

जीवन कोई त्रासदी नहीं है; ये एक हास्य है
जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना।

आप वो बन जाते हैं जो आप सोचते हैं कि आप हैं।
Osho Thoughts in hindi
सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है…इसके उलट,
सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है।

यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है.
हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है।
जिस दिन आप ने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है,
आपकी मृत्यु हो जाती है- क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा,
ना कोई आनंद और ना कोई अचरज. अब आप एक मृत जीवन जियेंगे।

सम्बन्ध उनकी ज़रुरत हैं जो अकेले नहीं रह सकते।
प्रेम पर ओशो के विचार
आचार्य रजनीश “ओशो” के अनमोल विचार
अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए
जीवन को मजे के रूप में लीजिये – क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है।

जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।
प्रेम पर ओशो के विचार
अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं और
चूँकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं,
इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं।

प्रसन्नता सद्भाव की छाया है; वो सद्भाव का पीछा करती है
प्रसन्न रहने का कोई और तरीका नहीं है।
ओशो के महान विचार
कोई प्रबुद्ध कैसे बन सकता है? बन सकता है,
क्योंकि वो प्रबुद्ध होता है- उसे बस इस तथ्य को पहचानना होता है।

किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है
आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं. खुद को स्वीकारिये।
अगर आप सच देखना चाहते हैं तो
ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये।

आत्मज्ञान एक समझ है कि यही सबकुछ है, यही बिलकुल सही है, बस यही है
आत्मज्ञान कोई उप्लाब्धि नही है, यह ये जानना है कि ना कुछ पाना है और ना कहीं जाना है।
जीवन पर ओशो के विचार
मित्रता शुद्धतम प्रेम है. ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है
जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता,
कोई शर्त नहीं होती,
जहां बस देने में आनंद आता है।

मूर्ख दूसरों पर हँसते हैं
बुद्धिमत्ता खुद पर।
आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों को प्रेम कर सकते हैं
इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे,
और कहेंगे,” अब मेरे पास प्रेम नहीं है”
जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते।

केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनने के लिए तैयार हैं प्रेम कर सकते हैं।
प्रेम पर ओशो के विचार
FQA’s on Osho “आचार्य रजनीश”
Q-: ओशो कौन थे?
Ans: ओशो (अचरण) रजनीश चंद मोहन जैन का जन्म ११ दिसम्बर १९३१ को हुआ था। वह भारतीय ध्यान गुरु और चिंतनशील विचारक थे।
Q-:ओशो के विचार क्या थे?
Ans:ओशो ने अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए, जैसे कि ध्यान, प्रेम, जीवन, मृत्यु आदि। उन्होंने तंत्र, योग और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति के आत्मा की खोज को प्रोत्साहित किया।
Q-:ओशो ध्यान का प्रचार क्यों करते थे?
Ans:ओशो का मानना था कि ध्यान व्यक्ति को उसके आत्मा के साथ मिलाता है और उसके जीवन को सार्थक बनाता है। उन्होंने यह शिक्षा दी कि ध्यान से मन की शांति प्राप्त होती है और जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाने में मदद मिलती है।
Q-: ओशो के ध्यान तंत्र क्या थे?
Ans: ओशो के ध्यान तंत्र विभिन्न प्रकार के ध्यान तकनीकों का संयोजन था जिनका उद्देश्य आत्मा की साक्षात्कार करना था। कुंडलिनी ध्यान, नटराज मेडिटेशन, नव आनंद तंत्र, डायनामिक मेडिटेशन, जैन ध्यान, गौरी शंकर मेडिटेशन, विपस्सना, नवीनतम ध्यान तकनीक आदि उनके ध्यान तंत्र की कुछ उपन्यासी तकनीकें थीं।
Q-:ओशो की मृत्यु कब हुई और कारण क्या था?
Ans: ओशो की मृत्यु १९९० में हुई थी। उनकी मृत्यु का कारण पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं है, लेकिन उन्हें एड्स का संक्रमण था, जिसके चलते उनकी स्वास्थ्य स्थिति दिनों-दिन बिगड़ रही थी।
Q-:ओशो के शिष्यों का समुदाय कैसा है?
Ans: ओशो के शिष्य उनके विचारों और ध्यान तंत्रों के प्रशंसक होते हैं। उनका समुदाय विश्वभर में फैला हुआ है और वे उनके शिक्षक के रूप में उनकी उपदेशों का पालन करते हैं।
Q-:क्या ओशो के विचारों पर विवाद हुआ है?
Ans: हां, कुछ विवाद उस समय हुए थे जब उनके ध्यान तंत्र और उनके उपन्यासों के कुछ विचार सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ थे।
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