जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय | Biography Of Jawaharlal Nehru in Hindi

Biography Of Jawaharlal Nehru in Hindi-: जवाहरलाल नेहरू एक भारतीय राजनेता तथा उदारवादी व्यक्ति थे। नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे जो 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 मई 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। एक पॉलीटिशियन होने के साथ-साथ वे अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने कई लेख एवं पुस्तकें भी लिखी हैं।

भारत के प्रधानमंत्री पद बनने के बाद, उन्होंने भारत में शिक्षा के उत्थान के लिए टेक्नोलॉजी व साइंस इंस्टिट्यूट की स्थापना की। जवाहरलाल नेहरू वर्तमान भारत के निर्माता थे, जिन्होंने उस समय देश में IIT, AIIMS जैसे International Level के कालेजों की स्थापना कर भारत के भविष्य की नीव रखी, जब हमारे देश में पैसे और खाने की कमी थी।

Highlights of Biography Of Jawaharlal Nehru

नामजवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru)
जन्म14 नवम्बर 1889, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
प्रधानमंत्री कार्यकाल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (26 जनवरी 1950 – 27 मई 1964)
पेशाराजनीतिज्ञ, क्रांतिकारी
मातापिता स्वरूप रानी नेहरू- मोतीलाल नेहरू
पत्नी कमला नेहरू
पुत्रीइंदिरा गांधी
बहनें विजयलक्ष्मी, कृष्णा नेहरू 
काॅलेजकैंब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
शैक्षणिक योग्यतालॉ में बैरिस्टर
पुरस्कारभारत रत्न (1955)
राजनीतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
मृत्यु27 मई 1964, नई दिल्ली
Biography Of Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू का परिवार

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक वकील थे। मोतीलाल नेहरू एक बड़े स्तर के वकील थे और उनकी पूरी मेहनत से वे पैसे कमाए। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी बड़े पद पर काम किया, जैसे कि दो बार (1919 और 1928) उन्होंने उसके प्रेसिडेंट भी बने। नेहरू की माँ का नाम स्वरूपरानी था और वे कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी। स्वरूपरानी नेहरू की दूसरी पत्नी थी।

नेहरू की दो बड़ी बहनें थीं, जिनके नाम विजयलक्ष्मी और कृष्णा थे। उनके कोई भाई नहीं थे। नेहरू की बड़ी बहन विजयलक्ष्मी ने यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में पहली महिला प्रेसिडेंट के रूप में काम किया था। उनकी छोटी बहन कृष्णा एक लेखिका थी और उन्होंने अपने भाई पर कई पुस्तकें लिखी थी।

नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल था और वे धनवान थे। इसके कारण उनका बचपन बहुत खुशहाल रहा। उनके पिता ने उनकी पढ़ाई के लिए घर में ट्यूशन क्लासेज आयोजित करवाई। उनके पसंदीदा शिक्षक का नाम ब्रूक्स था जिनका उन पर बड़ा प्रभाव था।

धीरे-धीरे नेहरू की रुचि विज्ञान और आध्यात्म में बढ़ने लगी। जब उनकी आयु 13 साल थी, तो एनी बेसेंट ने उन्हें थियोसोफिकल सोसायटी में शामिल होने की सलाह दी। लेकिन थोड़ी देर बाद, उनकी रुचि कम हो गई और उन्होंने उस सोसायटी को छोड़ दिया।

Education of Jawahar Lal Nehru

सन् 1905 में नेहरू एक इंग्लैंड के स्कूल में पढ़ रहे थे, जहाँ उन्हें ‘जो’ नाम से बुलाया जाता था। सन् 1907 में वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए गए। उस समय उन्हें अर्थशास्त्र, इतिहास, साहित्य आदि में गहरी रुचि हो गई थी।

1910 में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और उसके बाद उन्होंने विधि पढ़ने के लिए लंदन के इनर टेम्पल सराय में जाना शुरू किया। जब उनकी पढ़ाई समाप्त हो गई तो 1912 में वे भारत लौट आए।

Biography Of Jawaharlal Nehru in Hindi
Biography Of Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू के कार्य

बैरिस्टर बनने के बाद नेहरू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील के रूप में काम करना शुरू किया। लेकिन वकालत में वो बहुत रुचि नहीं रखते थे, इसके कारण धीरे-धीरे वे इस काम को छोड़कर राजनीति में जाने लगे।

नेहरू ने वकालत छोड़ दी और उन्होंने कांग्रेस की मीटिंगों में भाग लेना शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले, 1912 में पटना कांग्रेस की वार्षिक समारोह में भाग लिया। उन्होंने देखा कि ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने इसके खिलाफ 1913 में एक अभियान चलाया भी था।

Jawahar Lal Nehru: A Politician

पहले विश्व युद्ध के बाद, जब जवाहरलाल नेहरू सामने आए तो उन्होंने खुद को एक नए नेता के रूप में प्रस्तुत किया। तब उनके साथ में अन्य प्रमुख राजनेता भी थे जैसे कि गोपाल कृष्ण गोखले और लाला लाजपत राय जो बहुत प्रभावशाली थे। नेहरू ने इस समय ब्रिटिश सरकार की भारतीय सिविल सेवा के खिलाफ आवाज उठाई, क्योंकि उस समय की सिविल सर्विसेज वास्तव में अंग्रेजों के अपने हितों के लिए थी, न कि जनता और देश की भलाई के लिए।

स्वतंत्रता के समय, नेहरू ने कहा कि आजादी के बाद यहां पर किसी राजा का शासन नहीं होना चाहिए। वह चाहते थे कि देश में संपूर्ण स्वतंत्रता और जनता का शासन हो। इससे स्पष्ट होता है कि उन्होंने एक सामर्थ्यपूर्ण राष्ट्रवाद की दिशा में काम किया। जब बात आई कि राज्यों को कैसे आयोजित किया जाए, तो बहुत सारे राजनीतिक लोग चाहते थे कि राज्यों को अलग-अलग किया जाए, जैसा कि 1935 के भारत सरकार अधिनियम में दिया गया था।

लेकिन नेहरू ने इसका खंडन किया और सुझाव दिया कि राज्यों को एक ही राष्ट्र में मिलाकर एकीकृत किया जाना चाहिए, ताकि वे एक सामूहिक राष्ट्र की शुरुआत कर सकें।

छोड़ो आंदोलन में Jawahar Lal Nehru

1942 में जब ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चल रहा था, तब सुभाष चंद्र बोस ने जापानी सैनिकों की मदद से भारत को आजाद करने की कोशिश की। उन्होंने ब्रिटिश सेना पर हमला किया। यह घटना देखकर ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने एक अंग्रेज अधिकारी क्रिप्स को भारत भेजा, जो कैबिनेट मंत्री थे। उनका उद्देश्य था भारत के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करके समाधान निकालना।

जब जब वे भारत आए, तो उन्हें पता चला कि यहाँ के नेता और दल अलग-अलग हैं। नेहरू और महात्मा गांधी के विचार में कुछ अंतर था, जबकि वे दोनों कांग्रेस के थे और स्वतंत्रता पूरी तरह से प्राप्त करने के लिए तैयार नहीं थे। दूसरी ओर, मोहम्मद अली जिन्ना ने अलग राष्ट्र बनाने की बात की और पाकिस्तान की मांग रखी। ये मतभेद देखकर क्रिप्स मिशन कोई समाधान नहीं निकाल सका और यह अधूरा रह गया।

1942 में महात्मा गांधी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की, और उसके बाद गांधी और नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। मई 1944 में, गांधी जी को जेल से रिहा किया गया। बाकी कांग्रेस के मुख्य सदस्य जैसे कि नेहरू, अब्दुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, वे सभी 15 जून 1945 तक जेल में रहे।

देश की आजादी में Jawahar Lal Nehru

15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। इससे पहले यहाँ पर बहुत अस्थिरताएँ थीं। जैसे-जैसे आजादी की तारीख आई, समाज में हिंसा बढ़ी, राजनीति में अस्थिरता थी, और मोहम्मद अली जिन्ना ने नए मुल्क ‘पाकिस्तान’ की मांग की जिससे भारत की अर्थव्यवस्था और हालत और ख़राब हो गई।

आजाद होने के बाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि भारत में किसी भी राजा का विशेषाधिकार स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने मई 1947 में यह भी कह दिया कि वो राज्य जो भारत की संविधान सभा से जुड़ने में सहमत नहीं होंगे, उन्हें दुश्मन राज्यों के रूप में माना जाएगा।

संविधान सभा की शुरुआती दिनों में सभा के सदस्यों की यह मतभेद था कि हर राज्य को फेडरल राज्य के रूप में शक्तियाँ देनी चाहिए, लेकिन नेहरू का विचार था कि यह बढ़िया नहीं होगा। उन्होंने सोचा कि राज्यों को अलग शक्तियाँ नहीं देनी चाहिए, बल्कि उन्हें केंद्र सरकार के नीचे रखना चाहिए, ताकि भारत का समृद्धि और सामर्थ्य बढ़ सके।

Biography Of Jawaharlal Nehru के बारे में प्रश्नों के उत्तर:

Q-: जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ था?
Ans: पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को हुआ था।

Q-: Jawaharlal Nehru के पिता का नाम क्या था?
Ans: नेहरू जी के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था।

Q-: Jawaharlal Nehru जी की शिक्षा कहां हुई थी?
Ans: नेहरू जी की प्रारंभिक शिक्षा हररो और ईटन कॉलेज, ईटन, इंग्लैंड से हुई थी।

Q-: Jawaharlal Nehru जी का पहला प्रधानमंत्री बनने का कार्यकाल कब था?
Ans: पंडित नेहरू भारतीय गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री बने थे और उनका पहला कार्यकाल 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक था।

Q-: नेहरू जी की पत्नी का नाम क्या था?
Ans: नेहरू जी की पत्नी का नाम कमला नेहरू था।

Q-: Jawaharlal Nehru जी के बच्चों के नाम क्या थे?
Ans: नेहरू जी के तीन बच्चे थे: इंदिरा, विजयलक्ष्मी, और शांति स्वरूपा।

Q-: नेहरू जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद के महत्वपूर्ण कार्य क्या थे?
Ans: नेहरू जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाई और शिक्षा, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित किया।

Q-: Jawaharlal Nehru जी की मौत कब हुई थी?
Ans: पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हुआ था।

Q-: नेहरू जी का पूरा नाम क्या था?
Ans: पंडित जवाहरलाल नेहरू का पूरा नाम “मोतीलाल नेहरू” था, लेकिन वे अपनी प्रायमरी नाम के रूप में “जवाहरलाल” का प्रयोग करते थे।

Q-: Jawaharlal Nehru जी के बारे में कुछ रोचक तथ्य क्या हैं?
Ans: नेहरू जी को “चाचा नेहरू” के नाम से भी जाना जाता हैं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बच्चों के लिए “चाचा नेहरू” के तौर पर प्रसिद्ध हुए।

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