Dushuant Kumar Shayari
दुष्यन्त कुमार का जन्म 01 सितम्बर 1933 को हुआ था. बहोत ही अप्रत्याशित तरीके से उनका निधन, असमय ही भोपाल में 30 दिसम्बर 1975 को हुआ था।
Dushuant Kumar Shayari
भूख है तो सब्र कर,
रोटी नहीं तो क्या हुआ
आजकल दिल्ली में है ज़ेरे बहस ये मुद्दा
Dushuant Kumar Shayari
ये लोग होमो हवन में यकीन रखते हैं
चलो यहाँ से चलें, हाथ जल न जाए कहीं ।
Dushuant Kumar Shayari
ये लोग होमो हवन में यकीन रखते हैं
चलो यहाँ से चलें, हाथ जल न जाए कहीं ।
Dushuant Kumar Shayari
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए ।
Dushuant Kumar Shayari
एक चिंगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों, इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है
Dushuant Kumar Shayari
दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर, और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है
Dushuant Kumar Shayari
कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी
सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमा सी जल रही होगी
Dushuant Kumar Shayari
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी, यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।
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