Sonam Wangchuk on his hunger strike: आपमें से अधिकतर लोगों ने आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट्स जरुर देखी होगी, आमिर खान ने एक इनवेंटर का किरदार निभाया था जो बच्चों को पढ़ाता है और नये नये अविष्कार करता है। आमिर खान का यह किरदार जिस इंसान से प्रेरित था उनका नाम है सोनम वांगचुक। सोनम ने अनगिनत आविष्कारों से लोगों का जीवन सुधारा है। उन्होंने भारतीय सेना के रहने के लिये भी कई तरह के इंवेंशन किये हैं।
सोनम वांगचुक का जन्म एवं शिक्षा
सोनम वांगचुक का जन्म वर्ष 1966 में लेह जिले के उलेतोकपो गाँव में हुआ था। सोनम ने गांव में कोई स्कूल न होने के कारण 9 साल की उम्र तक कोई भी शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। उन्होनें 9 साल की उम्र में श्रीनगर के एक स्कूल में दाखिला लिया, जहॉं की पढ़ाई उनकी मूल भाषा में होने के कारण सोनम को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
सोनम वांगचुक ने NIT श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। वांगचुक ने इंजीनियर के साथ-साथ शिक्षा एवं समाज सुधारक के तौर पर भी कार्य किये। अपनी शिक्षा के दौरान प्राप्त अनुभवों और शिक्षा प्रणाली के प्रति उनकी निराशा ने उन्हें युवा पीढ़ी की समस्याओं और उनके ध्यान और सांस्कृतिक भ्रम की कमी को दूर करने के लिए लद्दाख के छात्रों के शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन (SECMOL) को शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इस आंदोलन का उद्देश्य सरकारी स्कूल प्रणाली में सुधार करना, युवाओं को संवेदनशील स्कूल शिक्षा प्रणाली के बारे में जागरूक करना और ग्रामीणों के लाभ के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करना शामिल था।
सोनम वांगचुक द्वारा निजी एवं सरकारी क्षेत्र में किये गये कार्य
वर्ष 1993 में वांगचुक ने लैडैग्स मेलोंग (लद्दाख की एकमात्र प्रिंट पत्रिका) की स्थापना की और वर्ष 2005 तक संपादक के रूप में काम किया। उन्होनें कई सरकारी एजेंसियों के लिये सलाहकार की भूमिका में कार्य किये। उन्हें विज़न डॉक्यूमेंट लद्दाख 2025 के हिस्से के रूप में शिक्षा और पर्यटन पर नीति तैयार करने का काम सौंपा गया है और उन्होंने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय में प्राथमिक शिक्षा के लिए नेशनल गवर्निंग काउंसिल में एक सदस्य के रूप में कार्य किया।
मतदाता पहचान पत्र डाउनलोड करें
Year | Awards |
---|---|
1996 | Governor’s Medal for educational reform in Jammu and Kashmir |
2001 | Man of the Year by The Week |
2002 | Ashoka Fellowship for Social Entrepreneurship, by Ashoka USA |
2004 | The Green Teacher Award by Sanctuary Asia |
2008 | Real Heroes Award by CNN-IBN TV |
2014 | UNESCO Chair Earthen Architecture, by CRATerre France |
2016 | Rolex Award for Enterprise |
2016 | International Terra Award for best earth building |
2017 | Indians for Collective Action (ICA) Honor Award, San Francisco, CA |
2017 | GQ Men of the Year Awards, Social Entrepreneur of the Year[61] |
2017 | Global Award for Sustainable Architecture. |
2017 | State Award for outstanding environmentalist by J&K Govt |
2018 | Ramon Magsaysay Award |
2018 | Eminent Technologist of the Himalayan Region by IIT Mandi |
चल-अचल सम्पत्ति का विवरण दर्ज किये जाने के संबंध में
क्या है वांगचुक की मांग जिसके लिए कर रहे हैं आमरण अनशन
Sonam Wangchuk on his hunger strike: वांगचुक लद्दाख क्षेत्र को विशेष अधिकारों और पर्यावरणीय सुरक्षा की मांग के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वह चाहते हैं कि हिमालयी क्षेत्र को बचाने के लिए लद्दाख को विशेष दर्जे की जरूरत है।
आमरण अनशन थुपस्तान छेवांग (पूर्व भाजपा लोकसभा सीट) से शुरू होगा। अगर वह नहीं रहे तो आंदोलन का नेतृत्व कौन करेगा इसके लिए रोस्टर तैयार किया जा रहा है। वह पहले 3 फरवरी से तीन सप्ताह के उपवास पर जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के अध्यक्ष छेवांग ने उन्हें 19 फरवरी तक इंतजार करने के लिए कहा गया था। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात के बाद भी अगर एपेक्स बॉडी मांग पूरी नहीं करवा पाई तो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
लद्दाख में एक बड़ी विरोध रैली भी गई थी और लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के चार सूत्रीय एजेंडे के समर्थन में केंद्र शासित प्रदेश ने पूर्ण बंद रखा गया था। इस रैली में 30,000 लोग पहुंचे जो लद्दाख के इतिहास में अभूतपूर्व है और लद्दाख की कुल आबादी का 10 प्रतिशत के लगभग था।
उन्होंने कहा कि हिमालय और उसके ग्लेशियरों की सुरक्षा किन्हीं कॉरपोरेटर्स को खुश करने से ज्यादा जरूरी होना चाहिए क्योंकि उसका असर पूरे उपमहाद्वीप के लोगों के जीवन पर हो रहा है, उनके अनुसार हिमालय में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार को भविष्योन्मुखी योजना बनानी होगी। संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करना भी इसका हिस्सा है।
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत “जातीय और जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों क अपने-अपने क्षेत्रों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।” भारत के चार राज्य मेघालय असम, मिजोरम और त्रिपुरा के दस जिले इस अनुसूची का हिस्सा हैं। वांगचुक की मांग है कि लद्दाख को भी इस अनुसूची के तहत विशेषाधिकार दिए जाएं।