ग़ालिब के मशहूर शेर

मिर्जा गालिब 19वीं सदी में भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध उर्दू और फारसी कवि थे।

ग़ालिब के मशहूर शेर

हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो, हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था !

ग़ालिब के मशहूर शेर

हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो, हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था !

ग़ालिब के मशहूर शेर

इश्क़ ने गालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के !

ग़ालिब के मशहूर शेर

कुछ लम्हे हमने खर्च किए थे मिले नही, सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया !

ग़ालिब के मशहूर शेर

फिर उसी बेवफा पे मरते हैं, फिर वही जिंदगी हमारी है 

ग़ालिब के मशहूर शेर

हम को उन से वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है !

ग़ालिब के मशहूर शेर

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता, तुम ना होते ना सही ज़िक्र तुम्हारा होता !

ग़ालिब के मशहूर शेर

गुजर रहा हूँ यहाँ से भी गुजर जाउँगा, मैं वक्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा !

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