गुलज़ार साहब किसी परिचय ये मोहताज नहीं है उन्हें देश का बच्चा बच्चा जनता है
Gulzar Shayari
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तकलीफ खुद ही
कम हो गई,
जब अपनों से उम्मीद
कम हो गई
Gulzar Shayari
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छोटा सा साया था
आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से
मन भर लिया।
Gulzar Shayari
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तुम शोर करते हो,
सुर्खियों में आने के लिए,
हमारी तो खामोशियां अखबार बनी हुई है।
Gulzar Shayari
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आप के बाद
हर घड़ी हम ने,
आप के साथ
ही गुज़ारी है
Gulzar Shayari
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ये कैसा रिश्ता हुआ
इश्क में वफ़ा का भला,
तमाम उम्र में दो चार छः गिले भी नहीं
Gulzar Shayari
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तेरे जाने से तो
कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी, चाँद भी था,
मगर नींद नहीं
Gulzar Shayari
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लगता है आज जिंदगी
कुछ खफा है,
चलिए छोड़िए कौन सा क्या पहली दफा है
Gulzar Shayari
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देर से गूँजतें हैं सन्नाटे,
जैसे हमको
पुकारता है कोई
Gulzar Shayari
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