25 Ram Manohar Lohia Quotes in Hindi के इस आर्टिकल में हम लोहिया के विचार को विभिन्न माध्यम से संग्रहित कर आपके समक्ष प्रस्तुत किये जाने हेतु लेकर है। साथ ही आपको बताते चलें कि राम मनोहर लोहिया भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वे सभी की बराबरी में यकीन करते थे और भारत की जाति प्रथा के प्रखर विरोधी थे। वे आरक्षण का समर्थन करते थे और महिला सशक्तिकरण पर यकीन करते थे।
राम मनोहर लोहिया के राजनीतिक विचार
भारत में कौन राज करेगा ये तीन चीजों से तय होता है। – ऊँची जाति, धन और ज्ञान। जिनके पास इनमे से कोई दो चीजें होती हैं वह शासन कर सकता है।
अगर सड़कें खामोश हो जाएं तो संसद आवारा हो जाएगी।
राजनीति एक अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घकालिक राजनीति।
जब भूख और जुल्म दोनों बढ़ जाते हैं तो चुनाव से पहले भी सरकारें बदली जा सकती है।
सच्चे लोकतंत्र की शक्ति सरकारों के उलट-पुलट में बसती है।
प्रधानमंत्री का काम रोना-बिसूरना नहीं, देश का नेतृत्व करना और उसका हौसला बढ़ाना होता है।
सामाजिक न्याय पर राम मनोहर लोहिया के विचार
सामाजिक परिवर्तन के बड़े काम जब शुरू जब शुरू होते हैं, तो समाज के कुछ लोग गुस्से में बिलकुल विरोधी हो जाते हैं.
जाति का ऐसा अभेद्द गढ़ या किला बन गया है, जो तोडा नहीं जा सकता.
जाति तोड़ने का सबसे अच्छा उपाय है, कथित उच्च और निम्न जातियों के बीच रोटी और बेटी का संबंध।
भारत में असमानता सिर्फ आर्थिक नहीं है, यह सामाजिक भी है।
जाति प्रथा के विरुद्ध विद्रोह से ही देश में जागृति आयेगी और उसे नवजीवन मिलेगा। और उसका पुनरुत्थान होगा।
यदि एक समाजवादी सरकार बल प्रयोग करे, जिसके परिणामस्वरूप कुछ लोगों की मौत हो जाए तो तो उसे शासन करने का कोई अधिकार नहीं है.
Dr. Ram Manohar Lohia Quotes in Hindi
मर्यादा केवल न करने की नहीं होती है, करने की भी होती है। बुरे की लकीर मत लांघो, लेकिन अच्छे की लकीर तक चहल पहल होनी चाहिए।
मृत्यु के बाद कम से कम सौ वर्षों तक प्रतीक्षा करो। सौ वर्षों के बीतने के बाद भी यदि लोग उस व्यक्ति को याद करें तब उसकी मूर्ति या स्मारक के बारे में सोचो।
औरत कोई भी हो। चाहे ऊंची जाति की या नीची जाति की। सबको मैं पिछड़ा समझता हूँ। औरत को हिंदुस्तान या दुनिया में दबा करके रखा गया है।
Ram manohar lohia ke vichar
जाति अवसरों को रोकती है। अवसर न मिलने से योग्यता कुंठित हो जाती है। यह कुंठित योग्यता फिर अवसरों को बाधित करती है।जैसे हाथ लुंज हो जाने पर सहारा देते हैं और तब हाथ काम करने लगता है। उसी तरह इन नब्बे फीसदी दबे हुए लोगों को सहारा देना होगा। उस समय तक जब तक कि हिन्दुस्तान में बराबरी न आ जाए।
राम मनोहर लोहिया के आर्थिक विचार
अपने आर्थिक उद्देश्य में पूंजीवाद बड़े पैमाने पर उत्पादन, कम लागत और मालिकों को लाभ पहुंचाना चाहता है।
अर्थव्यवस्था में एक माध्यम के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग काम की उत्पादकता को घटाता है। शिक्षा में सीखने को कम करता है और रिसर्च को लगभग ख़त्म कर देता है, प्रशासन में क्षमता को घटाता है और असमानता तथा भ्रष्टाचार को बढ़ाता है।
हमें समृद्धि बढानी है, कृषि का विस्तार करना है, फैक्ट्रियों की संख्या अधिक करनी है। लेकिन हमें सामूहिक सम्पत्ति बढाने के बारे में सोचना चाहिए। अगर हम निजी सम्पति के प्रति प्रेम को ख़त्म करने का प्रयास करें तो शायद हम भारत में एक नए समाजवाद की स्थापना कर पाएं।
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